लैलूंगा क्षेत्र में पत्थरों कि अवैध उत्खनन जोरों पर… करोड़ों के खनिज और कौडियों दाम… पहाड़ों के सीना को छलनी कर खोद रहे पत्थर… स्थानीय शासन – प्रशासन मौन ! जिम्मेदार कौन ?
हल्लाबोल 24.कॉम सबसे तेज न्यूज नेटवर्क
लैलूंगा :- रायगढ़ जिले के विकास खण्ड लैलूंगा के वन क्षेत्रों एवं निजी तथा शासकीय भूमि से पत्थरों कि अवैध उत्खनन कर खुलेआम बेधड़क खरीद व बेचे जाने से वन एवं पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है। बावजूद इसके शासन – प्रशासन इस पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है। जिसके कारण खनिज माफियों के हौसले बुलंद हो गये हैं । रायगढ़ जिले के लैलूंगा विकास खण्ड के चारों ओर पत्थरों का अवैध उत्खनन का कारोबार जोरों से फल फुल रहा है। वहीं आपको बता दें कि इस काले कारोबार में संलिप्त खनिज माफिया प्रति वर्ष शासन – प्रशासन को करोड़ों रुपये की राजस्व कि क्षति पहुंचाने से बाज नही आ रहे हैं। वन एवं निजी तथा शासकीय भूमि से अवैध तरीके से पत्थर तोड़कर बाजार में खपाये जाने का सिलसिला पिछले कई सालों से बदस्तूर जारी है ।
जिसके कारण रायगढ़ जिले में वन एवं पर्यावरण तथा जैव विविधता को काफी नुकसान हो रहा है। खुलेआम इस गोरखधंधे को स्थानीय प्रशासन के नाक के नीचे अंजाम दिया जा रहा है। लेकिन प्रशासन इस पर अंकुश लगाना तो दूर कार्यवाही करना मुनासिब नहीं समझते हैं। गौरतलब हो कि इस गोरखधंधे में लगे लोग चांदी काट रहे हैं। खुलेआम लैलूंगा क्षेत्र के क्रेशरों को पत्थर उपलब्ध कराया जाता है। स्थानीय प्रशासन के कुछ लोग खनिज माफियाओं के साथ मिली भगत कर कंबल ओढ़कर मलाई खा रहे हैं। पहले उनके पास कुछ नहीं था, पर आज दैनिक जीवन की हर सुविधा उपलब्ध है। रोजाना 20 से 50 ट्रैक्टरों से पत्थर की ढुलाई की जाती है। रायगढ़ जिले के लैलूंगा के ग्राम पहाड़ लुडेग, जामबहार, पोतरा, माझीआमा, लोहड़ा पानी, बैस्कीमुडा, सिहारधार आदि के आसपास स्थित वन भूमि व निजी तथा शासकीय भूमि पर पत्थर तोड़ने का काम किया जा रहा है। उपरोक्त स्थानों से खनिज माफिया प्रतिदिन कई ट्रैक्टर पत्थर का परिवहन करके ले जाते हैं। ये पत्थर नजदीकी क्रेशरों में खपाये जाते हैं। इसका उपयोग सड़क निर्माण में उपयोग होने वाले पत्थर, घरों के लिए नींव एवं गिट्टी के रूप में किया जाता है। खनिज माफियाओं द्वारा अवैध रूप से पत्थर ढोने का काम सुबह से लेकर पूरे दिन भर ट्रैक्टरों से ढुलाई किया जाता है। यह अवैध कारोबार स्थानीय प्रशासन, खनिज विभाग, स्थानीय पुलिस व वन कर्मियों की मिली भगत से संचालित हो रहा है। पत्थर चोरों के द्वारा पत्थर की बेधड़क ढुलाई किया जाता है। अवैध पत्थर के कारोबार में लगे खनिज माफिया आर्थिक रूप से मजबूत हो चुके हैं। तथा अपने राजनीतिक पहुंच होने का धौंस दिखाकर बखौफ होकर शासन को चुना लगाया जा रहा है। जिससे खनिज विभाग को सालाना करोड़ों रुपये की हानि हो रही है। अब यह देखना होगा कि समाचार प्रकाशन के बाद शासन – प्रशासन जागेगी या अवैध पत्थरों के उत्खनन करने वाले माफियाओं पर कुछ कार्यवाही होगी ? या अवैध पत्थरों को खरीदी बिक्री करने वाले क्रेशर संचालकों पर कार्यवाही होगी ? यह तो आने वाले समय में ही पता चल सकेगा ।