भारत बंद का असर धरमजयगढ़ में बेअसर..नेतृत्वकर्ता कमजोर..आदिवासी समाज को बदलना चाहिए नेतृत्वकर्ता
हल्लाबोल 24.कॉम सबसे तेज न्यूज नेटवर्क
नहीं मिला व्यापारियों का समर्थन
रिपोर्ट – रोहित तिर्की की विशेष रिपोर्ट
धरमजयगढ़ । सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष महेन्द्र सिदार के नेतृत्व में धरमजयगढ़ बंद करना था किन्तु महेन्द्र सिदार का समर्थन व्यापारी संघ धरमजयगढ़ ने नहीं दिया जिसकी वजह पूछने पर पता चला कि कार्यक्रम के एक दिन पहले रात को सूचना मिली जो पर्याप्त नहीं थी। जिससे नेतृव करता कि कमजोरी साफ नजर आती हैं। यदि नेतृव करता सामूहिक कार्यक्रम का श्रेय ले सकता हैं, तो फिर धरमजयगढ़ बंद कराने में विफल हुए हैं। उसका भी श्रेय अपने उप्पर ले। धरमजयगढ़ बंद कराने में विफल होने के बाद कार्यक्रम दुर्गा पंडाल में रखा गया जहा उम्मीद से कम भीड़ नजर आयी पंडाल में कुछ वक्ताओं के द्वारा सभा को सम्बोधित किया गया तत्पश्चात रैली निकाली गई जो दुर्गा पंडाल से प्रारम्भ होकर पोस्ट ऑफिस, बस स्टैंड, गाँधी चौक पहुंची जहा बिना पुलिस को सूचना दिये चक्का जाम सांकेतिक रूप से किया गया। तहसीलदार शिव कुमार डहरिया द्वारा ज्ञापन को गाँधी चौक पर लिया गया उसके बाद ही ट्रकों को जाने दिया गया। एस.सी. / एस.टी. की मांग थी कि क्रीमी लेयर जो केंद्र सरकार लागू कर रही है उसे वापस लिया जाये।
आखिर क्या है क्रीमी लेयर?
क्रीमी लेयर से मतलब है वह वर्ग जिसने आर्थिक और सामाजिक रूप से प्रगति कर ली है. क्रीमी लेयर के दायरे में आने वाले लोगों को रिजर्वेशन का लाभ नहीं दिया जाता है. अभी ओबीसी रिजर्वेशन में क्रीमी लेयर का प्रावधान लागू है. इसके अलावा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के प्रमोशन के मामले में भी क्रीमी लेयर का सिद्धांत लागू है. अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 27% रिजर्वेशन मिलता है. क्रीमी लेयर के प्रावधान को मुताबिक अगर किसी ओबीसी परिवार की सालाना इनकम 8 लाख से अधिक है तो उस परिवार के लड़के या लड़की को रिजर्वेशन का लाभ नहीं मिलता. उसे नॉन रिजर्वेशन कोटे से नौकरी या दाखिला मिलता है।
संविधान में क्या कहा गया है ?
संविधान के अनुच्छेद 15 (4) 16 (4) और 340 (1) में पिछड़े वर्ग शब्द का उल्लेख मिलता है. अनुच्छेद 15 (4) और 16 (4) में कहा गया है कि राज्य द्वारा सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए विशेष प्रावधान किया जा सकता है या विशेष सुविधाएं दी जा सकती हैं. अनुच्छेद 16 में राज्य के अधीन आने वाले किसी पद पर नियुक्ति के मामले में समानता के अवसर की बात की गई है. हालांकि इसके अपवाद भी हैं. अगर राज्य को लगता है कि नियुक्ति में पिछड़ा वर्ग का प्रतिनिधित्व नहीं है तो रिजर्वेशन की व्यवस्था भी की जा सकती है.
क्रीमी लेयर में कौन शामिल हैं ?
क्रीमी लेयर में संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति, जैसे- राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के जज, यूपीएससी के अध्यक्ष और मेंबर, राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और इसके मेंबर और मुख्य चुनाव आयुक्त जैसे लोग शामिल हैं. इसके अलावा केंद्र और राज्य सरकार की सेवाओं में ग्रुप ए और ग्रुप बी कैटेगरी के अधिकारियों को भी क्रीमी लेयर में शामिल किया जाता है.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था ?
सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त 2024 को आरक्षण पर एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा था कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति यानी एससी-एसटी रिजर्वेशन में भी सरकार अलग से वर्गीकरण कर सकती है. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बेला त्रिवेदी, जस्टिस पंकज मित्तल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की सात जजों की संविधान पीठ ने एससी-एसटी रिजर्वेशन में क्रीमी लेयर के पक्ष में फैसला दिया. एक जज ने इसका विरोध किया था.उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि एससी-एसटी रिजर्वेशन में क्रीमी लेयर, ओबीसी क्रीमी लेयर से अलग होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान में दिए गए समानता के सिद्धांत को स्थापित करने के लिए क्रीमी लेयर महत्वपूर्ण हो सकता है. फैसला देने वाली बेंच में शामिल जस्टिस पंकज मित्तल ने कहा कि एक छात्र सेंट स्टीफन्स कॉलेज में हपढ़ रहा है और दूसरा किसी ग्रामीण इलाके के स्कूल या कॉलेज में पढ़ रहा है तो दोनों को एक-समान नहीं माना जा सकता। अगर एक पीढ़ी रिजर्वेशन का लाभ लेकर आगे बढ़ गई है तो दूसरी पीढ़ी को आरक्षण नहीं मिलना चाहिए।