लैलूंगा । डीएवी मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूल में आज 20/04/2024 को हर्षोल्लास के साथ महात्मा हंसराज जी की जयंती मनाई गई। कार्यक्रम की शुरुवात महात्मा हंसराज एवम मां सरस्वती जी के चित्र पर पुष्पहार एवम दीप प्रज्वलित की गई । जिसके बाद शिक्षकों एवम विद्यार्थियों के साथ हवन का कार्यक्रम रखा गया।
महात्मा हंसराज जयंती पर स्कूल में इंटरक्लास क्विज कंपटीशन रखी गई जिसम ग्रुप D के छात्र हर्षीदीप भगत, मानवी गुप्ता, मोनिका पटेल, चंद्रदीप दीवान, कौशल प्रधान 500 अंको के साथ प्रथम स्थान प्राप्त किया। युक्ति बंजारा क्लास 9 के द्वारा मंच का संचालन किया गया। क्लास 9 के स्टूडेंट्स के द्वारा नाटक का मंचन किया गया जिसमे महात्मा हंसराज जी की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए उनके द्वारा समाज के उद्धार के लिए किए गए योगदान को याद किया गया
जो की बहुत ही सुंदर और रोचक था। इसी अवसर पर छात्रों के लिए ड्राइंग कंपटीशन भी आयोजित की गई जिसमे शुभम साहू क्लास ७ प्रथम , भाविका निषाद क्लास 6 द्वितीय, कुमकुम पैकरा क्लास 6 रही। श्रुति बिस्वाल क्लास 8, तमन्ना राजपूत क्लास 5 ने कविता मंचन किया , एरियाना तिर्की क्लास २, मिश्रा पटेल क्लास२ ने स्पीच दी जो की बहुत ही मनमोहक था।महात्मा हंसराज का जन्म 19 अप्रैल, 1864 ई. को होशियारपुर ज़िला, पंजाब के बजवारा नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता चुन्नीलाल जी साधारण परिवार से सम्बन्ध रखते थे। हंसराज जी का बचपन अभावों में व्यतीत हुआ था। वे बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे। केवल 12 वर्ष की उम्र में ही इनके पिता का देहांत हो गया। हंसराज जी की आंरभिक शिक्षा स्थानीय स्कूल से ही प्रारम्भ हुई थी। डिग्री की शिक्षा उन्होंने ‘गवर्नमेंट कॉलेज’, लाहौर से पूरी की।स्वामी दयानन्द की स्मृति मे एक शिक्षण संस्था की स्थापना का विचार बहुत समय से चल रहा था। पंरन्तु धन का अभाव इनके रास्ते में आ रहा था। उनके बड़े भाई लाला मुल्कराज स्वंय भी आर्य समाज के विचारों वाले व्यक्ति थे। उन्होंने हंसराज के सामने प्रस्ताव रखा कि वे इस शिक्षा संस्था का अवैतनिक प्रधानाध्यापक बनना स्वीकार कर लें। उनके भरण-पोषण के लिए वे हंसराज को अपना आधा वेतन अर्थात तीस रुपये प्रति मास देते रहेगें। व्यक्तिगत सुख के ऊपर समाज की सेवा को प्रधानता देने वाले हंसराज ने संहर्ष ही इसे स्वीकर कर लिया। इस प्रकार 1 जून, 1886 को महात्मा हंसराज ‘दयानन्द एंग्लो-वैदिक हाई स्कूल’ लाहौर के अवैतनिक प्रधानाध्यापक बन गए। इस समय उनकी आयु 22 वर्ष थी।प्राचार्या अर्चना चौधरी जी ने सभी को इस अवसर पर सुभकामनय दी ,उन्होंने कहा की इस तरह के कार्यक्रम करने से छात्रों को अपने विचारो को अभिव्यक्त करने की अवसर प्राप्त होता है जो की उनकी व्यक्तित्व के संपूर्ण विकास करने में सहायक हो सकता है। तथा इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन आगे भी करते रहेंगे जिसेसे छात्र में आत्मविश्वास, रचनात्मकता का विस्तार किया जा सके।इस अवसर पर सभी शिक्षकों का सम्पूर्ण योगदान रहा। एसिटिविटी इंचार्ज किरण महंत एवम हाउस इंचार्ज सुनिधि मिश्रा, श्वेता सिन्हा, आकांक्षा रवानी, हरेंद्र मनहर, सूरज कानूजिया, उमाकांत यादव, परमानंद प्रधान ने अपना सम्पूर्ण योगदान दिया।