चक्रधर समारोह-2024 डॉ.पूर्णाश्री राउत के ओडिसी नृत्य ने किया दर्शकों को मंत्रमुग्ध
हल्लाबोल 24.कॉम सबसे तेज न्यूज नेटवर्क
सुश्री दीपान्निता सरकार के कथक ने बांधा समा
मंच पर उतरा लखनऊ घराने और जयपुर घराने का बेजोड़ संगम चदरिया झीनी रे झीनी, राम नाम रस भीनी
पद्मश्री रंजना गौहर ने कबीर के जीवनी पर दी ओडिसी नृत्य की सजीव प्रस्तुति
सुश्री ए.मंदाकिनी स्वैन ने साजना मोरा घर आवै से मोहा सब का मन
सांगीतिक उत्सव में सौगत गांगुली के सरोद वादन ने किया मंत्रमुग्ध
रायगढ़, 9 सितम्बर 2024/ सुर-ताल, छंद और घुंघरू के 39 बरस के अवसर पर चक्रधर समारोह के दूसरी संध्या की पहली प्रस्तुति में लोक गायन के रूप में श्री विजय शर्मा एवं टीम के छत्तीसगढ़ी गानों से दर्शक मंत्र मुग्ध हुए। उनके द्वारा गाए कोरी-कोरी नारियल चढ़े, महुआ झरे गानों ने दर्शकों का दिल जीत लिया। कार्यक्रम की दूसरी कड़ी में विख्यात शास्त्रीय गायिका भोपाल की
सुश्री वाणी राव ने अपने मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुति से श्रोताओं को मोहित कर दिया। उनकी शास्त्रीय गायन में भगवान गणेश वंदना के पश्चात पूरिया धनाश्री में बड़ा ख्याल, छोटा ख्याल की प्रस्तुति ने समारोह में आध्यात्मिक और सांगीतिक माहौल बनाया। वाणी राव ने पारंपरिक रागों की खूबसूरत प्रस्तुति दी उनके सुरों की सादगी और भावप्रवणता ने समारोह में उपस्थित संगीत प्रेमियों का मन मोह लिया।
प्रसिद्ध ओडिसी नर्तक डॉ.पूर्णाश्री राउत ने भगवान जगन्नाथ को समर्पित धार्मिक पूजा गीत को ओडिसी नृत्य के माध्यम से प्रस्तुति दी। ओडिसी नृत्य की प्रसिद्ध कलाकार डॉ.पूर्णाश्री द्वारा मंच पर नृत्य का ऐसा रूप दर्शकों को देखने मिला कि सभी अपनी नजरें गड़ाए हुए उनके हर मुद्राओं और भाव-भंगिमाओं को कौतुहलवश निहारते रहे। उनके भाव भंगिमा युक्त ओडिसी नृत्य ने दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया। दर्शकगण भगवान जगन्नाथ के धार्मिक गीत आराधना देख भक्तिमय माहौल में डूब गए।
दिल्ली से पहुंची कथक नृत्यांगना सुश्री दीपान्निता सरकार ने चक्रधर समारोह की दूसरी शाम मंच पर प्रस्तुति दी। नृत्य के दौरान उनकी भाव भंगिमाओं और मुद्राओं ने पूरे कार्यक्रम में समा बांध दिया। दीपान्निता सरकार कथक के लखनऊ घराने की हैं और प्रस्तुति दे रहे कलाकार सौरभ जयपुर घराने से ताल्लुक रखते हैं। इस तरह मंच पर लखनऊ और जयपुर घराने का बेजोड़ संगम दर्शकों को देखने को मिला। पूरी प्रस्तुति के दौरान नर्तकों की पखावज, हारमोनियम बांसुरी और तबले के साथ संगत देखते ही बनती थी। दीपान्निता ने राजा चक्रधर सिंह के कला के क्षेत्र में उनके गौरवशाली योगदान को किया नमन किया और कहा कि हम कथक कलाकारों को राजा चक्रधर सिंह के बारे में पढ़ाया जाता है। हम कलाकार बचपन से उनके कला अवदानों के बारे में सीखते आए हैं। आज उनकी नगरी में हमें अपनी कला के प्रदर्शन का मौका मिल रहा है। यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है।
भक्तिकाल के महान कवि कबीर का जीवन नृत्य विधा के जरिए चक्रधर समारोह के मंच पर तब सजीव हो उठा जब पद्मश्री रंजना गौहर ने ओडिसी नृत्य के माध्यम से उनकी जीवन यात्रा को दिखाया। रहस्यवादी कवि कबीर के अपने माता नीमा और पिता नीरू से संवाद और उनके जीवन के अलग-अलग पड़ावों, उनकी सीख और अनुभवों को पद्मश्री रंजना गौहर और उनके साथी कलाकारों ने नृत्य मुद्राओं से रोचक तरीके से प्रस्तुत किया। कबीर के दोहों और भजन पर सुरमयी और लयबद्ध प्रस्तुति देखना दर्शकों के लिए अद्भुत अनुभव रहा।
श्रीमती रंजना गौहर को ओडिसी नृत्य के क्षेत्र में उनके योगदानों के लिए 2003 में प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। वह भारत के राष्ट्रपति से 2007 में राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भी प्राप्त कर चुकी हैं। वे ख्याति प्राप्त नृत्यांगना होने के साथ ही प्रसिद्ध पटकथा लेखक, कोरियोग्राफर और फिल्म निर्मात्री भी हैं। उनका जन्म दिल्ली में हुआ, बचपन में कथक सीखने के बाद उन्होंने मणिपुरी नृत्य सीखा और ओडिसी नृत्य से साक्षात्कार होने पर उन्होंने अपना जीवन इसी नृत्य शैली को समर्पित कर दिया। उन्होंने डॉक्यूमेंट्रीज बनाकर ओडिसी नृत्य को पूरे देश में विशिष्ट पहचान दिलाई। उन्होंने अपनी किताब ओडिसी, ‘द डांस डिवाइनÓ में ओडिसी नृत्य की बारीकियों को बताया है। ओडिसी ओडिशा राज्य की एक शास्त्रीय नृत्य शैली है। इस शैली का जन्म मंदिर में नृत्य करने वाली देवदासियों के नृत्य से हुआ था।
शास्त्रीय गायन की सुप्रसिद्ध कलाकर दिल्ली की सुश्री ए.मंदाकिनी स्वैन ने चक्रधर समारोह में राग जोश शैली से साजना मोरा घर आवै गाकर सब का मन मोहा। इसके साथ ही उन्होंने श्याम कल्याण की भी प्रस्तुति दी। संगीत-परिवार में जन्मी मंदाकिनी स्वैन को संगीत की दीक्षा पिता एवं गुरु पंडित के.महेश्वर राव से मिली। जिसके पश्चात विदुषी वीणा सहस्त्रबुद्धे तथा पंडित जेवीएस जैसे गुरुओं से गायन की बारीकियां सीखने का सौभाग्य मिला। वे न केवल हिंदी बल्कि संस्कृत और उडिय़ा भाषा के अपने भक्ति गीतों के लिए भी प्रसिद्ध हैं। संगीत नाटक अकादमी और भारत भवन जैसी अन्य संस्थाओं में भी वह अपनी गायन का जादू बिखेर चुकी है। मंदाकिनी जी के सुर, सात समंदर पार सिंगापुर, मलेशिया, ऑस्ट्रिया, कोलंबो, मस्कट और यू.एस.ए सहित अनेक देशों में सुधी श्रोताओं को मुग्ध कर चुके हैं। भारतीय संगीत जगत में उनके सांगीतिक योगदान के लिए अनेक संस्थाओं द्वारा उन्हें सम्मानित भी किया गया है।
रायगढ़ के ऐतिहासिक चक्रधर समारोह में विशेष आकर्षण रहा, जब समारोह के दूसरी शाम कोलकाता से पहुंचे प्रसिद्ध सरोद वादक सौगत गांगुली ने अपनी शानदार प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। चक्रधर समारोह के मंच पर जहां श्री सौगत गांगुली ने सरोद की मधुर ध्वनि और विविध धुनों से समां बांध दिया। सरोद की तरल ध्वनि जब तबले की थाप के साथ संगत श्रोताओं तक पहुंची तो वे मंत्रमुग्ध हुए बिना नही रह सके। उनके वादन की पारंपरिकता और आधुनिकता का संपूर्ण संगम दर्शकों को एक अद्वितीय अनुभव प्रदान कर रहा था। सौगत गांगुली ने अपनी प्रस्तुति में सरोद के विभिन्न रागों का प्रयोग करते हुए संगीत की गहराई और जटिलताओं को बखूबी प्रस्तुत किया। उनके वादन में सूक्ष्मता और भावनात्मकता का अद्वितीय मेल देखने को मिलाए जिसे दर्शकों ने भव्य तालियों और प्रशंसा के साथ सराहा।