यहां आज भी बिरहोर जनजाति के लोग सिस्टम का शिकार..कागजी घोड़ों पर इनके लिए हर सुविधा लेकिन हकीकत कुछ और..देखें रिपोर्ट
हल्लाबोल 24.कॉम सबसे तेज न्यूज नेटवर्क
धरमजयगढ़ । पंचायत में बनने वाले जितने भी प्रधानमंत्री आवास बने है.उन्हे ठेकेदार या पंचायत द्वारा बनाया गया है वह सभी मकान एक बरसात भी नहीं झेल पा रहा है जिससे साफ स्पष्ट हो रहा है की भ्रष्टाचार को किस कदर अंजाम दिया गया है । मकानों की स्थिति ऐसी है कि मानो बकरी का कोठा बना दिया गया हो।हालत कुछ ऐसा है कि बरसात में लोग घर में रहने से डर रहे हैं।
छत फुट गया है और पानी भी टपक रहा है दिवारें फट कर फैल गई है और ये पूरा मामला धरमजयगढ़ विकासखंड के ग्राम पंचायत कुम्हीचुआं का है जहां निवासरत बिरहोर जनजाति के लोग बेहद दयनीय स्थिति में अपनी जिंदगी गुजारने को मजबूर है इस पंचायत में निवासरत बिरहोर जनजाति पहाड़ी में निवास करते हैं
मगर प्रशासन ने इनकी जीवन स्तर में सुधार के लिए इन जनजातियों को पहाड़ी से नीचे लाकर एक बस्ती बना कर बसाने का प्रयास किया है। मगर इनके सरपर जो छत शाशन के द्वारा उपलब्ध कराई जा रही है।
सरपंच की उदासीनता और उनकी लाभकारी इरादे इस जनजाति के लोग को खुन के आंसु रुला रही है भरी बरसात में इनके छत टुट रहे है दिवारें फट गया है घर के अंदर रत्ती भर भी जगह नहीं है जहां लोग बैठ सके।सोना तो नामुमकिन है।
सवाल यह है कि सरपंच ऐसे ठेकेदार से काम क्यों ले रहा है क्या गुणवत्ता युक्त कार्य कराना सरपंच कि जिम्मेदारी नहीं है। कहीं कमीशनखोरी इन स्तरहीन कार्यों का कारण तो नहीं ?कौन करता है ऐसे कार्यो का मुल्याकन कौन करता है जियोटेग क्या ये सभी पदाधिकारी सीधे तौर पर इन स्तरहीन कार्यों के लिए जिम्मेदार नहीं हैॽ
खैर इस ग्राम पंचायत और इस मामले की रिपोर्ट हम अगली कड़ी में और दिखाएंगे ताकि लोगो को यह मालूम चल सके की रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ विकासखंड का ग्राम पंचायत कुमहीचुंवा के पंचायत प्रतिनिधि और प्रशाशन किस हद तक गरीबों का हक छीनकर भ्रष्टाचार को अंजाम देने में लगा हुआ है।।