सरकार की बदहाल शिक्षा व्यवस्था : एक ही कमरे में आंगनबाड़ी से लेकर पांचवी तक की क्लास वो भी एक ही शिक्षक के भरोसे..पढ़ाई की गुणवत्ता पर सवाल..जिम्मेदार जान कर भी अंजान..
हल्लाबोल 24.कॉम सबसे तेज न्यूज नेटवर्क
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धरमजयगढ़ । यह सुनकर चौंकना स्वाभाविक है कि आंगनबाड़ी के एक छोटे से कमरे में आखिर पांच-पांच कक्षाएं कैसे संचालित होती होंगी! मगर यह बात सच है।और यह मामला है रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ विकासखंड अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत कदमढोढ़ी के आश्रित ग्राम गोहेसिलार की जहां स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में आंगनबाड़ी के बच्चो के साथ साथ पहली से पांचवी कक्षा तक के बच्चों को एक साथ बैठाकर पढ़ाया जाता है।
वहीं ताज्जुब करने वाली बात यह भी है की इन सभी कक्षाओं के बच्चो के लिए यहां एकमात्र शिक्षक है जो प्रधान पाठक भी है ऐसे में अब सवाल लाजिमी है जब एक ही कक्षा में पांच-पांच कक्षा के बच्चे पढ़ाई करते होंगे तो उनकी पढ़ाई की गुणवत्ता का क्या हश्र होगा। और एक ही शिक्षक इन्हे किस तरह पढ़ाते होंगे आप समझ सकते आपको बताना लाजिमी होगा की शिक्षा की इस व्यवस्था को देख स्थानीय लोगो सहित स्कूल के प्रधान पाठक ने इस बदहाल व्यवस्था को लेकर भारी नाराजगी जाहिर की है.
क्या यही है प्रधानमंत्री मोदी का डिजिटल इंडिया
प्राथमिक शाला गोहेसिलार के जर्जर भवन की हालत और बाउंड्रीवाल को लेकर कई बार उच्चाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से शिकायत की गई है. लेकिन हालात जस के तस बने हुए है. जिस स्कूल में बच्चे पढ़ाई करते थे वह स्कूल पूरी तरह जर्जर हो चुका है और स्कूल की बिल्डिंग भी अब धरासाई होने की कगार पर है.स्कूल की स्थिति को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि शिक्षा विभाग छात्रों और जिले में शिक्षा व्यवस्था को लेकर बिलकुल भी गंभीर नहीं है.जबकि प्रधानमंत्री मोदी देश को डिजिटल इंडिया का नाम दे रहे है.और आदिवासी इलाकों में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चौपट है।।
जिम्मेदारों ने साधी चुप्पी
ऐसा नहीं है कि प्राथमिक शाला की जर्जर स्थिति और इस शिक्षा व्यवस्था से शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी वाकिफ नहीं है. अधिकारियों को इस मामले की पूरी जानकारी है कि भवन की स्थिति काफी बुरी हो चुकी है बच्चों को बैठाने लायक नहीं है और एक छोटे से कमरे में आंगनबाड़ी के बच्चो से लेकर पांचवी तक के बच्चो को बैठाकर टाइमपास किया जा रहा है.
लेकिन इतना कुछ जानने और समझने के बाद भी विभाग के जिम्मेदार कुम्भकर्णीय नींद में सोए हैं. इतनी शिकायतों के बाद भी शिक्षा विभाग ने स्कूल भवन की जर्जर स्थिति को सुधारने की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की है.