पार्षद नीरज शर्मा व परिवार ने स्वच्छता दीदी ,सफाई कर्मी सहित ग्राम बगचबा के 4 सौ परिवार को बांटे कंबल
हल्लाबोल 24.कॉम जिले का सबसे तेज न्यूज नेटवर्क
पूर्वजो के सेवाभावी स्मृति कार्यो को जीवंत रखने आय का एक अंश संचय कर लगा रहे जरूरत मंद की सेवा में दादा की सेवाक़री भूमिका पिता के नक्से कदम में पीढ़ी दर पीढ़ी सहयोग का उठाया बेड़ा पार्षद नीरज शर्मा व परिवार ने स्वच्छता दीदी,वार्ड, सफाई कर्मी, ग्राम बगचबा के 400 परिवार को बाटे कंबल
रायगढ़ । रायगढ़ जिले में सामाजिक तासीर और सेवाक़री स्वभाव हर स्तर में नजर आता है लोग सेठ किरोड़ीमल की दानवीरता को ग्रामीण अंचल से लेकर शहरी क्षेत्र में परंपरा को निर्वहन कर रहे है। लोग अपने अपने सामर्थ्य के मुताबिक पूर्वजो के नक्से कदम में चलते हुए सेवाभावी कर जरूरत मंदो का सहयोग कर रहे है। इसके घरघोड़ा नगर पंचायत के पार्षद ने भी पूर्वजो के मार्गो का प्रशस्त होकर पीढ़ी दर पीढ़ी इस भूमिका को बरकरार रखा है जहां उनके परिवार के सदस्यों ने 400 परिवारो में कंबल वितरण किया है।
गौरतलब हो कि घरघोड़ा नगर पंचायत के पार्षद नीरज शर्मा व उनका परिवार शुरू से समाजिक कार्यो में अग्रणी रहा है इनके दादा स्व हरद्वारीमल शर्मा घरघोड़ा नपं के प्रथम मनोनीत अध्यक्ष रहे है। पिता भी कांग्रेस के कई पदों पर रह चुके है । पूर्वजों के संस्कारो को जीवित रखने नीरज शर्मा व उनका परिवार समाजिक कार्यो में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। पत्नी कविता शर्मा पूर्व न पं उपाध्यक्ष रह चुकी है। उन्होंने भी अपने सामाजिक संस्था के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्य कर चुकी है। जिसके लिए कई स्तर में सम्मानित व पुरुस्कृत हो चुकी है।समाजिक कार्यो की फेहरिस्त में इन्होंने घरघोड़ा नप के अपने वार्ड, सफाई कर्मचारियों ,स्वछता दीदियों के साथ साथ ग्राम बगचबा जिसे इन्होंने अपनी प्रथम कर्मभूमि बताया इन सभी को मिलाकर 400 परिवारों को ठंड को देखते हुये अपनी माता श्रीमती रुकमणी देवी शर्मा के हाथों से कम्बलों का वितरण किया। इससे पहले घरघोड़ा बार रूम में अलमारी कुर्सी, नगर में अन्य कई तरह के सेवा कार्य को दैनिक दिनचर्या में शामिल कर चुके है। शर्मा परिवार अपने पूर्वजो के सम्मान और उनके सेवा कार्यो को जीवंत रखने के लिए उठाए गए कदम को हर वर्ग सराहना कर रहा है कुछ ने तो इसे अपनाया भी है।पिता के निधन के बाद लिया संकल्पपिछले वर्ष अपने पिता के निधन के पश्चात इन्होंने पूर्वजो की स्मृतियों को जीवित रखने की सोच सोची ओर उसे मूर्त रूप देने राशि के संचय हेतु गुल्लक रखा जिसमे प्रतिदिन अपनी आय का एक अंश जमा करते है और उसी राशि से पूर्वजो की स्मृतियो को जीवित रखने का कार्य आरम्भ किया है कुछ दिन पूर्व इन्होंने घरघोड़ा बार रूम में लाइब्रेरी के लिये आलमारी व कुर्सिया भी प्रदत की थी।