भूपेश पर 420 का केस दर्ज..आगे पढ़े पूरी खबर
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प्रोटेक्शन मनी के तौर पर 508 करोड़ लेने का आरोप पूर्व सीएम सहित 21 लोगों के खिलाफ एफआईआर पाटन जीतकर प्रतिष्ठा तो बचा ली, लेकिन ईडी और ईओडब्ल्यू से बच नहीं पाए
रायपुर (ए/नेट डेस्क)। सत्ता से बाहर होते ही पूर्व सीएम भूपेश बघेल की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है। जैसे-तैसे पाटन विधानसभा जीतकर प्रतिष्ठा तो बचा ली, लेकिन ईडी से बच नहीं पाए। राजनांदगांव लोकसभा सीट से प्रत्याशी घोषित होते ही भूपेश बघेल की परेशानी और बढ़ गई। 16 मार्च को लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद 17 मार्च को महादेव सट्टा मामले को लेकर ईओडब्ल्यू ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित 21 लोगों के खिलाफ रायपुर की आर्थिक अपराध शाखा ने एफआईआर दर्ज कर छत्तीसगढ़ के राजनीतिक गलियारे में हड़कंप मचा दी है। ईओडब्ल्यू ने आईपीसी के तहत धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश विश्वासघात और जालसाजी सहित कुल 7 धाराओं में अपराध दर्ज किया गया है। कांग्रेस ने पूर्व सीएम भूपेश बघेल को राजनांदगांव लोकसभा सीट से टिकट दिया है।
ऐसे में अब एफआईआर दर्ज होने के बाद ईओडब्ल्यू के रूख पर सबकी नजरें टिकी हुई है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि एफआईआर के बाद ईडी उन्हें नामांकन दाखिल करने से रोक सकती है। यदि ईओडब्ल्यू उन्हें ऐसा करने से रोकती है तो यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका होगा। निर्वाचन आयोग के नियमों के मुताबिक प्रत्याशी उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर या आरोप दर्ज होने की जानकारी सार्वजनिक करनी होती है। प्रत्याशी को यह बताना होता है कि उनके किस मामले में अपराध दर्ज है। साथ ही पार्टी को भी यह सूचित करना होता है कि दागी होने के बाद भी टिकट क्यों दी गई। इलेक्शन कमीशन ने इसके लिए एक प्रारूप भी तैयार किया है। अब भूपेश बघेल को राजनांदगांव के नामांकन के शपथ पत्र में अभी दर्ज हुए मामले की सभी धाराओं 120 बी, 34, 406, 420, 467, 468, 471 तथा धारा 7, 11 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 यथा संशोधित अधिनियम 2018 का अपराध होने का भी उल्लेख करना पड़ेगा। मिली जानकारी के अनुसार भूपेश बघेल के खिलाफ प्रोटेक्शन मनी के तौर पर 508 करोड़ रुपए लेने के आरोप में ईओडब्लू और एसीबी विंग ने एफआईआर दर्ज की गई है। भूपेश बघेल पर आरोप है कि उन्होंने महादेव बैटिंग ऐप के मालिक रवि उप्पल और सौरभ चंद्राकर को प्रोटेक्शन देने के नाम पर 508 करोड़ रुपए लिए हैं।